Let My Country Wake up and Bloom
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प्रकृति की एक शाम का संगीत
.
मुझे रोमांच हो रहा था
धीरे- धीरे विलुप्त होते चमकीले
सूर्य की नयनाभिराम सुन्दरता को देख, और
मैं यह सोच रहा था कि अभी थोड़ी देर में
अन्धकार सब कुछ अपने में समा लेगा.
.
शाम को लौट रहे पक्षी
ना जाने कब के आसमान से
अपने जीवन साथी के साथ
विलुप्त हो चुके थे.
.
सूर्य की आखरी
चमकीली किरणे भी
बहूत जल्दी में थीं और
केवल पेड़ की चोटियों को
छू रही थीं .
.
केवल मैं ही अकेला था
उस निर्मल निस्तब्धता में और
सुनने का प्रयत्न कर रहा था
निषछ्ल हो प्यार करते पक्षियों का
मधुर संगीत
और ज्हिंगुरों का विजय गीत.
.
जो की तेजी से फ़ैल रही रात्रि के साथ
ये जान कि अब उनके
रात्रि के विशाल साम्राज्य में
कोई बिघ्न ना डाल सकेगा
और सक्रीय हो
अपने संगीत को
तेज कर रहे थे.
रवीन्द्र के कपूर
कानपूर ०१ ०९ २०११
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