Let My Country Wake up and Bloom
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शिक्षक दिवस पर दिवंगत महान शिक्षक डॉ एस राधाकृष्णन के सम्मान में आज के योग्य शिक्षकों को समर्पित एक कविता.
मेरी यह कविता मेरे एक ऐसे ही अति वृद्ध शिक्षक श्री के एन पांडेजी को भी समर्पित है, जिनके शब्द अनेक वर्षों बाद आज भी मेरे कानों में गूंजते रहते हैं.
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नमन है उस शिक्षक को
सिक्षा के इस पावन दिवस पर
रौशनी के पट जो खोले
फैला जब हो तिमिर भयावह.
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श्रेष्टतम है और भी वो
जो दिखाए रस्ते भी
विषय भर में ही ना उलझे
अच्छे दे संस्कार भी जो.
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नमन है हर उस शिक्षक को
जो हो ना केवल पढ़ाने के लिए
पुष्प सा महका दे जीवन
जो भी आये सम्मुख उसके.
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तुम्हीं से है राष्ट्र बनता
तुम्हीं से है निखरता देश
ज्ञान की गंगा से सिंच कर
जब पुष्प सा खिल महकता परिवेश.
रवीन्द्र
कानपूर 05 09 2011
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