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आईये वृन्दावन और गोकुल बचाएं

Let My Country Wake up and Bloom
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भारतीय धर्मं और संस्कृत, आस्था का प्रतीक वृन्दावन और गोकुल ही नहीं पूरा बृज आज खतरे में है. खतरे में केवल बृज ही नहीं है वरन हमारी हज़ारों सालों की आस्था और सभ्यता, हमारी संस्कृत जिस पर हम नाज करते हैं वो भी खतरे में है. वो स्थान जहां कभी कृष्ण की बांसुरी ह्रदय के तारों को झंकृत कर सम्मोहित कर लिया करती थी और राधा की सुन्दरता लता कुंजों को भी अपने संग नृत्य करा कान्हां की रास लीला को अद्भुत बना देती थी, वो बृज भूमि आज पेड़ पौधों, जंगल और घास के मैदानों के साथ उन गायों भी से विहीन हो त्राहि त्राहि कर रही है और हम भारतीय मौन विवश से सब कुछ देख रहे हैं, क्यों कि हमारी यही एक खासियत अब शेष बची है कि हम अब केवल अपने लिए जीते हैं और अपने लिए मरते हैं. सदियों से ऐसा ही होता आया है और शायद सदियों ऐसा ही होता होता रहेगा और हम चुप चाप देखते रहेंगे, नष्ट होते पर्यावरण को पछियों को, उन जंगलों को जहाँ कभी भारतीय संस्कृत पली बढ़ी और पल्लवित हुई, अपनी हज़ारों वर्षों से संजोई विरासत को लुटते बिलखते और टूटते.

देश, समाज, साहित्य, कला, कविता, गायन, चित्रकारी, शिल्पकारी, संगीत और नृत्य ये सब तो सरकार कि जिम्मेदारी हैं, जहां बैठे हैं हमारे प्रिय नेतागण. इनमे से ज्यादातर तो शायद ये भी नहीं जानते होंगे कि क्यों किसी देश के विकास कि परख केवल वहाँ के साहित्य और संस्कृत कि झलक देखने भर से मिल जाती है, जिसे सवारने पर समाज उन्नत करता है और जिसकी उपेक्षा समाज और देश को एक ऐसे दल दल में फैंक देती है जहां से निकलने में युग बीत जाते हैं.

कैसे भारतीय हैं हम और कैसी है हमारी आस्था जो आज केवल भगवान् की मूर्ति से माँगना तो जानती है पर राम और कृष्ण की भूमि की दुर्दशा को देख कर भी हमारे मन को विचलित नहीं करती. दुनिया के दुसरे देशों के लोग आ आ कर हमारे वैदिक धर्मं की सुन्दरता और दर्शन से अपने को धन्य मानते हैं और हम जो अपने को हिन्दू कहने पर बड़ा गर्व महसूस करते हैं दिन प्रति दिन अपने हज़ारों सालों की धरोहर को बचाने के लिए दो शब्द कहना और लिखना भी नहीं कर पाते.

क्या वास्तव में हम इतने गरीब हो चुके हैं मन से, कर्मो से या बौधिक सम्पदा से कि अपनी उन धरोहरों को भी बचाने के लिए जो हमारी आस्था का संबल हैं कुछ नहीं कर सकते. क्या उन स्थानों को राम और कृष्ण ने जन्मा लिया कम से कम एक प्राकतिक रूप में रखने कि जरूरत को भी महसूस करने कि चेतना हम खो चुके हैं.

क्या हम इतने असहाय हो चुके हैं कि अपने प्राचीन स्थानों को कम से कम हरा भरा और साफ़ सुथरा और उनकी नैसर्गिक सुन्दरता में भी उन्हें नहीं रख सकते. ये लेख एक ऐसा ही प्रयास है अपने एक प्राचीन विरासत को अवैध कब्जों और इमारतों से बचाने का. आईये वृन्दावन और गोकुल को बचाएं. आप केवल इसे एक World Heritage के रूप में घोषित किये जाने हतु अपने विचार लिखें और अपनी पत्रिक्रिया को अपने हस्ताछर कर इस मुहीम में अगर आप उचित लगे तो सम्मलित हों. वेबसाईट का URL है

http://worldheritagestatusforvrindavan.org/?p=4#कमेंट्स

आशा करता हूँ कि इस जागरण मंच के सभी लेखक, राधा और कृष्ण के सभी भक्त और प्रेमी, सभी हिन्दू ही नहीं दुसरे धर्मों के साहित्यकार भी इस बहुमूल्य कार्य में अपना योग दान दे कृष्ण की इस भूमि को कान्हा के गोकुल को और बृज को बचाने में आगे आयें गे.

रवीन्द्र के कपूर
Kanpur 22 03 2012
Premium Member Poetry Soup
Member World Art Foundation
Member -You Tube -Music Channel “RavindraKK1”

क्या आप जानते हैं कि केवल पांच लोगों में इस Signature Campaign के सन्देश को पहुंचा कर इस प्रार्थना के साथ कि वो लोग भी पांच पांच लोगों तक यह सन्देश पहुँचाने का कष्ट करें आप बहूत कुछ कर सकते हैं.

जागरण पत्र से भी एक प्रार्थना. आप का अमूल्य सहयोग देश के सांस्कृतिक केन्द्रों को एक नया जीवन दे सकता है. आईये भारत भूमि को सुन्दर, निर्मल, स्वच्छ और प्राकृत की बहुमूल्य सम्पदा से हरा भरा बनाने का प्रयास शुरू करें और इस कार्य में हर धर्मं और संस्कृत के लोग जुड़ें क्यों कि ये देश हम सब का है.

मेरे द्वारा भेजा गए सन्देश को मैं यहाँ केवल आपकी जानकारी के लिए English में ही रख रहा हूँ.

“I strongly feel that without including Vrindavan and its surroundings as the place of World Heritage, perhaps the Foundation would miss the most valuable and the most precious amongst all your Heritages. Vrindavan is not only a historical place, it is a place where love and beauty reaches its ultimate in the divine forms of Radha and Krishna.

In Him millions and millions finds the purpose of their existence, love and life. For the last many thousands years, when perhaps there was no existence of all other monuments and buildings, which your great organization is trying to preserve Vrindavan existed and even would continue to exist till human life exists on Earth.

Now it is up to you to decide, whether you come forward to preserve ‘Vridavan’ as a place of Timeless Beauty and Love, which are the essence of Human Life and with which are linked the breaths and dreams of millions and millions of its believers. Vrindavan and its surroundings have given shapes to the dreams of hundreds of Writers and Poets, Painters and Musicians, Artists and sculptures, singers and photographers, if these things have no importance for WHF, I would prefer not to recommend to include it, as a place of World Heritage.”
Ravindra K Kapoor

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