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प्रयास रामायण को अंग्रेजी में कविता रूप देने का

Let My Country Wake up and Bloom
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भारत के जन मानस में रची बसी महाकवि तुलसीदासजी की रामायण में जो अमृत सागर है उसका रसपान हम भारतीय तो करते ही रहते हैं पर उसे विश्व साहित्य की एक अनुपम देन बना देने का कार्य बहूत कम हुआ है. रामायण की कहानी, भाषा शैली में जो संगीत और सुन्दरता बिखरी हुई है और जो कि सुन्दर रूप से पढने पे सुनने वाले को आत्म विभोर कर देती है उसे विश्व के जन मानस तक पहुंचाने का कार्य शायद बहूत कम हुआ है और अगर किन्ही विद्वानों ने ये प्रयास किया है तो वो साधुवाद के पात्र हैं.

मैं इस विशाल कार्य को अपने प्रयास के द्वारा प्रारम्भ कर रहा हूँ. इसके अंतर्गत शुरू के प्रथम चरण में रामचरित मानस के केवल दोहों को ले रहा हूँ, जिसे मैंने अंग्रेजी में ही यहाँ रख कर मेरे जागरण के मित्रों की विवेचना हेतु यहाँ उसका हिंदी भावार्थ भी दे दिया है. दोहों के भावार्थ को अंग्रेजी में मुक्त कविता के रूप में रखते समय, मैंने इसमें कुछ नयापन रखने की कोशिश की है. जिसका एक उदहारण यहाँ जागरण पर एक चौपाई के अंग्रेजी अनुवाद से मिल जाएगा. चौपाई को उदहारण के रूप लेने का कारण केवल इतना है कि जब मैंने रामायण को अनायास ही एक दिन पढना और फिर अनायास उसको अंग्रेजी में लिखा, उस समय ये मेरा पहला प्रयास था. अंग्रेजी के कविता अंश को मैंने हिंदी में जो उसका भावार्थ होगा उसे भी, अन्य दुसरे पाठकों की सुगमता के लिए लिख दिया है.

मेरे आप सभी से अनुरोध है कि मेरे इस कार्य में अपना बहुमूल्य सहयोग देने कि कृपा करें. आप में से जो लोग रामायण में विशेस रूचि रखतें हों वो मुझेसे ईमेल या फ़ोन पर भी संपर्क कर सकतें हैं. आपका बहुमूल्य सहयोग भारतीय निधि को पुरे विश्व तक पहुँचाने का पुनीत कार्य बन सकता है. विशेस रूप से जो लोग रामायण को सुन्दर रूप से पढ़ सकते हैं और कानपूर में रहते हों मैं उनसे स्वयं आकर मिलूँ गा, दूर दराज़ के रामायण प्रेमियों से मैं फ़ोन से संपर्क कर किन्ही दोहों आदि पर समय समय पर मार्गदर्शन लेता रहूँगा. क्यों कि मेरा प्रयास रामायण को अंग्रेजी में एक audio video रूप में रखने का है अगर ऐसा संभव हो सका.
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प्रस्तुत उदहारण एक चौपाई से
From Shri Ramcharitmanas बालकाण्ड
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धूम कुसंगति कारिख होई, लिखीय पुराण मंजू मसि सोयी.
सोयी जल अनल अनिल संघाता, होई जलद जल जीवन दाता.

हिंदी में भावार्थ जैसा कि रामायण में दिया है.
कुसंग के कारण धुंआ कालिख कहलाता है. वही धुंआ (सुसंग से) सुंदर स्याही होकर पुराण लिखने के काम आता है और वही धुंआ जल, अग्नि और पवन के संग से बादल बन होकर जगत को जीवन देनेवाला बन जाता है.
Text as a Poem in English
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Smoke Smoke, why you cry,
Because of your bad company.
Your association is the reason of your sadness and plight,
But, when you blend yourself with ink,
You become pious like Puraan, Vedas* and Bible*.
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And when you mingle with fire, wind and clouds,
You shower nectar like rains on Earth,
To quench not only the thirst of humans,
But of the entire mother Earth and
its wonderful creatures, plants, trees animals and
even insects.
Ravindra K Kapoor

Kanpur India 15th September २०१२
My direct mail id is kapoor_skk@yahoo.कॉम/ ०९६९६४३२७७०
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NOTE: Words having Star Mark * on them are not given in original Text of Ramayana.

अंग्रेजी कविता का हिंदी रूपांतरण
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धुएँ धुएँ अपनी बुरी सोहबत के कारण,
तुम क्यों इतने व्यथित हो चिल्ला रहे हो,
तुम्हारा बुराई का साथ ही,
तुम्हारे दुःख और दुर्दशा का कारण है.
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मगर जब तुम बुराई का साथ छोड़,
स्याही से मिल जाते हो,
तब तुम पुराण, वेद* और बाईबिल* जैसे पवित्र हो जाते हो.
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और जब तुम अग्नि पवन और बादल से मिलते हो,
तुम अमृत समान जल की वृष्टि करते हो,
जो जल केवल मनुष्यों की ही प्यास नहीं बुझाता,
वरन संपूर्ण पृथ्वी की भी प्यास बुझाता है.
और इसमें रहने वाले अद्भुत जीव जन्तुंओं के साथ,
पेड़ों और यहाँ तक की कीट पतंगों की भी प्यास बुझाता है.
रवीन्द्र


नोट: जिन शब्दों पर * बने हैं वो शब्द मूल रामायण में नहीं हैं.

नोट: मैंने १५०९२०१२ को simplesight.com पहले दोहे को अंग्रेजी फोटो पोएम के रूप में पोस्ट किया पर इस वेबसाइट ने कुछ ऐसी शर्तों को बताना शुरू कर दिया की उसे आगे उक्त website पर करते रहना संभव नहीं हो पायेगे. जो लेखक face book पर हैं वो मेरे पेज पर उस पोस्टिंग को देख सकते हैं.

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