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पेंगुइन का सपना – पेंगुइन पर लिखी मेरी कविता का हिंदी रूपांतरण
पेंगुइन चिड़ियाँ व्यस्त थीं
अपने आनंद के नृत्य में
उन किशोर किशोरियों की भांति
जो मग्न हो जाते हैं
अपने पहले प्यार और वार्ता में। 01
प्रेम उनकी आंखों में तेज बन चमक रहा था,
उनकी मनमोहक सुंदर आँखों में,
और प्यार की खुशी हिलोरे ले रही थी
उनके नृत्य के हर कदम में। 02
उनके लावण्य के सौंदर्य से चकित,
मैं उनकी उस मनोदशा में
खुशी की एक लय महसूस कर रहा था
मानो उनके आनंद की लय में
मैं भी उन लोगों के साथ था,
और प्रेम का बीज मेरे अंदर अंकुरित हो रहा था. 03
उन मनमोहक सुंदर क्षणों में मेरी उम्र
अब मेरे लिए एक बाधा नहीं थी
आनंद की लहरें आसमान छू रही थीं
और मेरा मन उन पेंगुइन के साथ
नृत्य में मग्न था। 04
वो सुंदर पक्षी, राजा रानियों की तरह आगे बढ़ रहे थे
बिना बीते कल और आने वाले कल की चिंता के
पेंगुइन प्रेमपूर्ण दृष्टि से के साथ
अपने जीवन साथी की ओर देख रहे थे
उन लम्हों का पूरा आनंद लेते हुआ जिनको कि वो जी रहे थे। 05
प्रेम की उस मनोहारी दशा वे अभी भी
कुछ गुनगुना रहे थे
प्रेम और गायन के अपने हर्षित नृत्य धुन में
और उन पेंगुइन चिड़ियों ने अपना
वो आकर्षक नृत्य जारी रखा
दूर कहीं मुझसे बहुत दूर। 06
अचानक एक बड़ी से ठंडी लहर की छपाक ने
मुझे एक झटका सा दिया
और मैंने अपने को पेंगुइन के स्वप्न में पाया
जहां मैं भी अनजाने में उन पेंगुइन के साथ
लहरों पर था
अपनी बचपन की उम्र के सपनों के साथ। 07
Ravindra K Kapoor
अंग्रेजी में लिखी 26th May 2012 की कविता को Poetry Soup पर निचे दिए लिंक पर क्लिक कर या कॉपी पेस्ट कर देखा जा सकता है.
http://poetrysoup.com/poem/penguins__dream_395695
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